भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी ने भारतीय वन सेवा के परिवीक्षार्थियों के लिए मृदा-जल संरक्षण एवं जलग्रहण प्रबंधन पर प्रशिक्षण का किया आयोजन

भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी ने भारतीय वन सेवा के परिवीक्षार्थियों के लिए मृदा-जल संरक्षण एवं जलग्रहण प्रबंधन पर प्रशिक्षण का किया आयोजन

12 फरवरी, 2024, देहरादून

भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने आज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में भारतीय वन सेवा के परिवीक्षार्थियों के लिए मृदा-जल संरक्षण एवं जलग्रहण प्रबंधन पर एक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का उद्घाटन किया। यह आईजीएनएफए द्वारा प्रायोजित है और 12 से 23 फरवरी, 2024 तक चलेगा।

डॉ. एम. मधु, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी, ने अपने उद्घाटन संबोधन में राष्ट्रीय उत्पादकता, आजीविका एवं खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए मृदा-जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों से संसाधन व्यक्तियों के समृद्ध अनुभव का लाभ उठाने का आग्रह किया।

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डॉ. जगमोहन शर्मा, निदेशक, आईजीएनएफए, ने मृदा और जल संसाधनों के महत्व पर ज़ोर दिया और भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों से प्रशिक्षण गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने तथा संसाधन युक्त व्यक्तियों के साथ उत्पादक रूप से बातचीत करने का आग्रह किया ताकि विशेष रूप से उनके लिए निर्धारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का अधिकतम लाभ उठाया जा सके।

डॉ. चरण सिंह, प्रमुख, मानव संसाधन विकास एवं संसाधन प्रभाग तथा पाठ्यक्रम समन्वयक, ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की पाठ्यक्रम सामग्री एवं समय-सारणी पर बात की, जो भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में संस्थान के विभिन्न विषय-वस्तु वैज्ञानिकों और तकनीकी अधिकारियों द्वारा इनडोर सत्र तथा क्षेत्रीय प्रदर्शन दोनों शामिल हैं।

डॉ. एम मुरुगनंदम, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख (पीएमई एवं केएम) इकाई, भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी, ने प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति, उनके प्रबंधन के समक्ष चुनौतियों और मृदा-जल संरक्षण से जुड़ी विभिन्न जैव-इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकियों, मॉडलों, प्रणालियों एवं अवधारणाओं, विशेष रूप से जलग्रहण प्राथमिकता, व्यापक कटाव नियंत्रण, जल संचयन तथा पुनर्चक्रण, वैकल्पिक भूमि-उपयोग मॉडल और एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन, के बारे में बात की, जिसकी जानकारी परिवीक्षार्थियों को कार्यक्रम के दौरान दी जाएगी।

डॉ. आर.के. सिंह, प्रमुख (स्वास्थ्य एवं पर्यावरण), भी उद्घाटन के दौरान उपस्थित थे।

उद्घाटन सत्र में कुल 120 भारतीय वन सेवा (आईएफएस) परिवीक्षाधीन अधिकारी उपस्थित थे और आईजीएनएफए तथा भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी दोनों में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून)

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