14 फरवरी, 2024, देहरादून
भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून, ने आज उत्तराखंड में मत्स्य पालन प्रौद्योगिकियों और अवसरों पर किसानों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया। प्रशिक्षण का दूसरा बैच 14-18 फरवरी, 2024 तक चलेगा, जिसे उत्तराखंड राज्य मत्स्य विभाग, देहरादून के निदेशालय द्वारा विभाग की जनजातीय उप-योजना योजना के अंतर्गत प्रायोजित किया गया है।
डॉ. एम. मधु, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी, ने किसान प्रशिक्षुओं से सक्रिय रहने तथा स्थानीय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर किसानों एवं कृषक समुदायों को लाभान्वित करने वाली विभिन्न योजनाओं और प्रावधानों को समझने का आग्रह किया।
डॉ. एम. मुरुगनंदम, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख (पीएमई एवं केएम) इकाई, भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी, ने उत्तराखंड के किसानों को विभिन्न मत्स्य पालन, मछली पालन, एकीकृत कृषि प्रणालियों तथा प्राकृतिक संसाधनों एवं अन्य कृषि क्षेत्रों के मत्स्य संसाधनों के साथ जुड़ाव से परिचित कराने के उद्देश्य से प्रशिक्षण बैचों की एक श्रृंखला की घोषणा की।
डॉ. आर.के. सिंह, जल विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभागाध्यक्ष, आईआईएसडब्ल्यूसी, ने कृषि एवं आजीविका के पोषण में मृदा एवं जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में किसानों को विभिन्न कृषि तकनीकों, प्रक्षेत्र मॉडलों एवं प्रणालियों, विशेष रूप से मत्स्य पालन, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संसाधन संरक्षण से परिचित कराया गया।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और उदम सिंह नगर जिलों के कुल 50 किसान प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून)







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