13 मार्च, 2024, हजारीबाग
भाकृअनुप-औषधीय एवं सुगंधित पादप अनुसंधान निदेशालय, आणंद ने आज भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हजारीबाग, झारखंड में जनजातीय उपयोजना योजना के अंतर्गत 'स्वास्थ्य एवं आजीविका सुरक्षा तथा कृषकों के अधिकारों हेतु औषधीय एवं सुगंधित पादपों के संरक्षण पर जागरूकता' शीर्षक से एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।

भाकृअनुप-डीएमएपीआर, आणंद के वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी, औषधीय एवं सुगंधित पादप संरक्षण कार्यक्रम के बारे में श्री मनीष कुमार मित्तल ने टीएसपी योजना के बारे में बताया और प्रशिक्षण कार्यक्रम की संक्षिप्त जानकारी दी।
डॉ. विशाल नाथ, ओएसडी, भाकृअनुप-आईएआरआई, हजारीबाग, ने औषधीय एवं सुगंधित पादपों के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने झारखंड राज्य में औषधीय एवं सुगंधित पादपों की खेती एवं संरक्षण के दायरे पर प्रकाश डाला तथा किसानों से औषधीय एवं सुगंधित पादपों की खेती के लिए आगे आने का आग्रह किया।

डॉ. कौशल कुमार, प्रमुख, अखिल भारतीय औषधीय अनुसंधान परियोजना (एमएपी एवं बी), बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची, ने आदिवासी किसानों को गिलोय की पौध सामग्री वितरित करने के साथ-साथ एमएपी से संबंधित संस्कृति के स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान पर ज़ोर दिया।
डॉ. रंजय कुमार सिंह, प्रमुख, केवीके, चतरा, ने झारखंड राज्य में बाजार-आधारित विस्तार प्रणाली पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के दौरान कृषि तकनीकों तथा चयनित औषधीय एवं सुगंधित पौधों की बाजार क्षमता पर व्याख्यान आयोजित किया गया। वैज्ञानिकों की एक टीम ने प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया, जिसमें एमएपी के बीज किट एवं तिरपाल शीट जैसे कृषि इनपुट वितरित किया गया और लाभार्थी किसानों के बीच पंजीकरण किट वितरित किया गया।
आस-पास के गाँवों के अनुसूचित जनजातियों के कुल 100 किसान लाभार्थी प्रतिभागी थे।
(स्रोत: भाकृअनुप-औषधीय एवं सुगंधित पौधा अनुसंधान निदेशालय, आणंद)







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