4-8 मार्च, 2024, मुंबई
भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई ने झारखंड के 8 क्षेत्रों के 25 चयनित प्रगतिशील मत्स्य पालकों के लिए 4-8 मार्च, 2024 तक 'मीठे जल जलीय कृषि के लिए जलीय चारा उत्पादन तकनीक और आहार प्रबंधन' पर 5 दिवसीय कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन किया। इन मत्स्य पालकों ने हाल ही में चारा मिलें स्थापित की हैं और वर्षों से मछली पालन गतिविधियों में लगे हुए हैं।

डॉ. एन.पी. साहू, संयुक्त निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफई, ने पेलेट युक्त चारा तैयार करने और चारा-आधारित जलीय कृषि में स्थानीय सामग्रियों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए अपने प्रगतिशील किसानों को नियुक्त करने के लिए मत्स्य पालन विभाग, झारखंड की सराहना की और कामना की कि यह प्रशिक्षण निश्चित रूप से मत्स्य पोषण तथा जलीय चारा के बारे में उनके ज्ञान एवं समझ को बढ़ाएगा।

डॉ. के.एन. मोहंता, प्रमुख, मत्स्य पोषण, जैव रसायन एवं शरीर क्रिया विज्ञान प्रभाग ने व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण मछलियों की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं और बायोफ्लॉक एवं आरएएस संवर्धन प्रणालियों में आहार प्रबंधन पर ज़ोर दिया।
डॉ. रविशंकर सी.एन., निदेशक एवं कुलपति, भाकृअनुप-सीआईएफई, मुंबई भी कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे।
प्रशिक्षुओं को 14 सैद्धांतिक और 12 प्रायोगिक कक्षाओं के अलावा मत्स्य आहार उत्पादन तकनीक, आहार परीक्षण और गुणवत्ता आश्वासन का प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर हिंदी भाषा में एक प्रशिक्षण पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, वर्सोवा, मुंबई)







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