4-7 मार्च, 2024, नरेन्द्रपुर
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सुंदरबन के तटीय क्षेत्रों के लिए अनुसूचित जाति स्वास्थ्य योजना कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों तथा ग्रामीण युवाओं के लिए 'सतत कृषि हेतु मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन' और 'सुंदरबन में वैज्ञानिक मत्स्य पालन' पर 4 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप)-शस्य श्यामला कृषि विज्ञान केन्द्र, रामकृष्ण मिशन विवेकानंद शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा भाकृअनुप-भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची और भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के सहयोग से किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य संवेदनशील सुंदरबन क्षेत्र में मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन एवं जलीय कृषि के बारे में जागरूकता पैदा करना तथा वैज्ञानिक ज्ञान एवं कौशल विकसित करना था।

डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता, ने कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी सहयोग से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील सुंदरबन क्षेत्र में आजीविका सुधार और गरीबी उन्मूलन के लिए सिद्ध तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया।
डॉ. सौमेन साहा, प्रमुख, भारतीय मृदा एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण, कोलकाता ने टिकाऊ फसल एवं मत्स्य पालन के लिए मृदा स्वास्थ्य के महत्व पर बल दिया।
डॉ. एन.सी. साहू, प्रमुख, भाकृअनुप-एसएसकेवीके ने कृषक समुदाय तक तकनीकों के प्रसार में केवीके की भूमिका पर चर्चा की।
श्री लोकमन मोल्ला, अध्यक्ष, कुलतली मिलनतीर्थ सोसाइटी, बसंती प्रखंड, सुंदरवन, भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रशिक्षुओं को वर्मी कम्पोस्ट, वर्मीवॉश, पीएच पेपर और मत्स्य आहार जैसी विभिन्न सामग्रियाँ वितरित की गई।
कुल 60 अनुसूचित जाति के किसानों ने दो प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)







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