प्रभावशाली किसानों का इनोवेशन: अंतर्दृष्टि एवं विस्तार के रास्ते – अंतर्राष्ट्रीय एग्रोनॉमी कांग्रेस में एक सफल सत्र का आयोजन

प्रभावशाली किसानों का इनोवेशन: अंतर्दृष्टि एवं विस्तार के रास्ते – अंतर्राष्ट्रीय एग्रोनॉमी कांग्रेस में एक सफल सत्र का आयोजन

26 नवंबर, 2025, नई दिल्ली

आज नई दिल्ली के नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी में अंतर्राष्ट्रीय एग्रोनॉमी कांग्रेस के दौरान "प्रभावशाली किसानों का इनोवेशन: अंतर्दृष्टि और विस्तार के रास्ते" विषय पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में भारत में जमीनी स्तर के इनोवेशन के बदलते परिदृश्य पर प्रकाश डाला गया, जो प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण तथा पशुधन प्रबंधन में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करते हैं।

भाकृअनुप अनुसंधान, विस्तार तथा नीति एकीकरण के माध्यम से ऐसे किसान-नेतृत्व वाले इनोवेशन की सक्रिय रूप से पहचान तथा प्रचार कर रहा है। हाल ही में, विकसित कृषि संकल्प अभियान (वीकेएसए) के तहत 300 से अधिक इनोवेशन को डॉक्यूमेंट किया गया है, और उन्हें कृषि प्रणालियों में मुख्यधारा में लाने के प्रयास जारी है।

Impactful Farmers’ Innovation: Insights and Pathways to Scale – A Successful Session at the International Agronomy Congress

सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. राजबीर सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार) तथा सह-अध्यक्ष, ने जमीनी स्तर के इनोवेशन को कृषि विज्ञान केंद्रों (कवीके) से जोड़ने की हालिया उपलब्धियों और चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसान-नेतृत्व वाली रचनात्मकता को और समर्थन देने के लिए जीआईएन और हनी बी नेटवर्क जैसे स्थापित नेटवर्कों के साथ सहयोग तलाशने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

सत्र की शुरुआत विभिन्न राज्यों के 12 जमीनी स्तर के इनोवेटर्स द्वारा प्रस्तुतियों के साथ हुई, जिसमें सटीक कृषि, ऊर्जा दक्षता, जैव विविधता संरक्षण एवं कृषि अभियांत्रिकी में विविध विकासों को प्रदर्शित किया गया। उनके इनोवेशन ने व्यावहारिक प्रासंगिकता और वैज्ञानिक सुधार और व्यापक रूप से अपनाने की मजबूत क्षमता का प्रदर्शन किया। डॉ. एस. एन. मीरा, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, हैदराबाद, और डॉ. मनीष आनंद, टीईआरआई, द्वारा दो अतिरिक्त प्रस्तुतियों में इन इनोवेशन को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए फ्रेमवर्क, प्रक्रियाओं एवं उदाहरणों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।

सह-अध्यक्ष प्रो. कडामोट सिद्दीकी (पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया) ने ऑस्ट्रेलिया में किसान समूह की गतिशीलता और प्रौद्योगिकी अपनाने में उनकी भूमिका पर अंतर्दृष्टि साझा की।

डॉ. विमला डंकवाल, कुलपति, कोटा कृषि विश्वविद्यालय, ने भोजन, पोषण, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण प्रबंधन के बीच अंतर्संबंध पर जोर दिया, तथा शिक्षा एवं अनुसंधान में इन विषयों के मजबूती से  एकीकरण का आह्वान किया।

प्रो. अनिल के. गुप्ता (आईआईएम अहमदाबाद) ने इनोवेटर्स के साथ बातचीत की और सिस्टम एग्रोनॉमी के महत्व को रेखांकित किया, साथ ही वैज्ञानिक प्रगति के लिए किसानों की रचनात्मकत मूल्यों पर ध्यान दिया। उन्होंने स्थानीय प्रथाओं के सार्थक दस्तावेजीकरण के लिए ग्राम ज्ञान रजिस्टर विकसित करने हेतु आरएडब्ल्यूई छात्रों को केवीके के साथ जोड़ने का सुझाव दिया।

सत्र के अध्यक्ष, प्रो. पंजाब सिंह, कुलपति, आरएलबीसीएयू, झांसी, ने सबसे भरोसेमंद तथा जमीनी स्तर के इनोवेशन की पहचान करने तथा प्रदर्शनों और व्यावसायीकरण के माध्यम से उन्हें बड़े पैमाने पर लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समावेशी मॉडल के ज़रिए ऐसे इनोवेशन को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए केवीके की क्षमताओं को मजबूत करने पर भी ज़ोर दिया।

Impactful Farmers’ Innovation: Insights and Pathways to Scale – A Successful Session at the International Agronomy Congress

सेशन की मुख्य सिफारिशें:

• जमीनी स्तर के इनोवेशन और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों की पहचान करने, डॉक्यूमेंटेशन करने, उन्हें वैलिडेट करने और बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत सिस्टम स्थापित करें।

• स्थानीय ज़रूरतों को पूरा करने वाले कम लागत वाले, पर्यावरण के अनुकूल किसान-नेतृत्व वाले इनोवेशन को पहचान एवं रणनीतिक सहायता प्रदान करना।

• किसानों के लिए समर्पित ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म बनाना ताकि वे व्यापक रूप से विभिन्न हितधारकों के लाभ हेतु स्वेच्छा से इनोवेशन साझा कर सके।

• फील्ड लिंकेज को मजबूत करने और भविष्य की विशेषज्ञता बनाने के लिए यूजी, पीजी, और पीएचडी के छात्रों, साथ ही शुरुआती करियर के वैज्ञानिकों को जमीनी स्तर के इनोवेशन से प्रेरित रिसर्च में शामिल करना।

• होनहार इनोवेशन को बड़े पैमाने पर लागू करने, बेहतर बनाने और चलाने के लिए लक्षित फंडिंग और इनक्यूबेशन तंत्र शुरू करना।

• आरएडब्ल्यूई छात्रों के लिए ऐसी रणनीतियाँ विकसित करना जिससे वे गाँव ज्ञान रजिस्टर बनाकर भारत के समृद्ध ज्ञान आधार को रिसर्च, उद्यम विकास और पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण के लिए मैप कर सकें।

• मान्य किसान-नेतृत्व वाले इनोवेशन को एक्सटेंशन सिस्टम, कृषि नीतियों एवं संस्थागत कार्यक्रमों में एकीकृत करने के लिए व्यापक फ्रेमवर्क तैयार करना।

इस सेशन में लगभग 250 जमीनी स्तर के इनोवेटर्स, प्रगतिशील किसानों, वैज्ञानिकों और विद्वानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसका आयोजन डॉ. रंजय के. सिंह, सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप द्वारा किया गया था, तथा अध्यक्ष एवं सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ इसका समापन हुआ।

(स्रोत: कृषि विस्तार प्रभाग, भाकृअनुप)

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