सावंतवाड़ी, महाराष्ट्र में सजावटी मछली संस्कृति इकाई में किसानों का एक्सपोजर दौरा

सावंतवाड़ी, महाराष्ट्र में सजावटी मछली संस्कृति इकाई में किसानों का एक्सपोजर दौरा

20 मार्च, 2024, सावंतवाड़ी

भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा ने नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित परियोजना 'गोवा में सतत सजावटी मछली संस्कृति के प्रदर्शन तथा प्रशिक्षण के माध्यम से उद्यमिता विकास एवं आजीविका सुधार' के तहत आज सावंतवाड़ी, महाराष्ट्र में सजावटी मछली संस्कृति इकाई की एक एक्सपोजर यात्रा का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य उद्यमियों के साथ सीधी बातचीत के माध्यम से सजावटी मछली प्रजनन इकाई विकसित करने में अंतर्दृष्टि प्राप्त करना था।

Farmer's Exposure Visit to the Ornamental Fish Culture Unit at Sawantwadi, Maharashtra  Farmer's Exposure Visit to the Ornamental Fish Culture Unit at Sawantwadi, Maharashtra

श्री त्रिवेश मयेकर, प्रधान अन्वेषक एवं वैज्ञानिक (मछली आनुवंशिकी तथा प्रजनन) भाकृअनुप ओल्ड गोवा ने एक्सपोज़र विजिट के उद्देश्य की जानकारी दी।

श्री राजेश सालगांवकर, एक सफल सजावटी मछली उद्यमी ने सजावटी मछली इकाई की स्थापना में अपने अनुभवों और चुनौतियों को साझा किया साथ ही सजावटी मछली पालन तथा छोटे पैमाने के स्टार्ट-अप के लिए बुनियादी आवश्यकताओं को समझाया, जिसे सदस्यों द्वारा बैकयार्ड में स्थापित किया जा सकता है।

श्री राजेश सालगांवकर ने सजावटी मछली पालन पर एक सूचनात्मक सत्र का नेतृत्व किया, जिसमें जल गुणवत्ता प्रबंधन, रोग की पहचान, दवा का उपयोग, भोजन की रणनीतियाँ, प्रजनन पद्धतियां, विपणन रणनीतियों एवं पैकिंग तकनीक पर ध्यान केन्द्रित किया गया। सत्र में स्वस्थ जलीय पर्यावरण को बनाए रखने, स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करने और सफल प्रजनन एवं जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया गया। इसने सजावटी मछली के सुरक्षित परिवहन के लिए प्रभावी विपणन रणनीतियों और सावधानीपूर्वक पैकिंग तकनीकों की अंतर्दृष्टि भी साझा की।

सदस्यों ने एक सजावटी हैचरी सुविधा का दौरा किया, जहां उन्होंने रोग-मुक्त सजावटी मछली के उत्पादन की प्रक्रिया के बारे में सीखा। इस सुविधा में गप्पी, मौली, कोई कार्प और गोल्डफिश जैसी विभिन्न प्रजातियों को प्रदर्शित किया गया, जो सफल प्रजनन एवं रखरखाव के आवश्यक देखभाल पर प्रकाश डालती हैं।

एक्सपोज़र विजिट में चार स्वयं सहायता समूहों के कुल 10 सदस्यों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)

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