भाकृअनुप-आईएआरआई अपना 120वां स्थापना दिवस मनाया

भाकृअनुप-आईएआरआई अपना 120वां स्थापना दिवस मनाया

1 अप्रैल, 2025, नई दिल्ली

भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने अपना 120वां स्थापना दिवस बड़े उत्साह एवं संकल्प के साथ मनाया, जिसमें 1905 में अपनी स्थापना के बाद से भारतीय कृषि में इसके उल्लेखनीय योगदान पर प्रकाश डाला गया। इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, प्रख्यात वैज्ञानिकों, किसानों और छात्रों ने भाग लिया, जिन्होंने अनुसंधान, नवाचार और टिकाऊ कृषि उन्नति की संस्थान की विरासत पर विचार व्यक्त किया।

मुख्य अतिथि, भारत सरकार के नीति आयोग के सदस्य, प्रो. रमेश चंद ने स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में, प्रो. चंद ने भारतीय कृषि के उभरते परिदृश्य में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की और भविष्य के लिए प्रमुख नीतिगत अनिवार्यताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कृषि में आएआरआई के ऐतिहासिक योगदान, विशेष रूप से हरित क्रांति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। राज्य-विशिष्ट कृषि स्थितियों के लिए नीतियों को तैयार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रो. चंद ने बताया कि बाजार की विकृतियाँ विकास और विविधीकरण में बाधा डालती हैं। उन्होंने उत्पादन को मांग के साथ जोड़ने, नवाचार के माध्यम से दक्षता बढ़ाने और प्रसंस्करण, निर्यात और जैव अर्थव्यवस्था जैसे वैकल्पिक मांग स्रोतों का दोहन करने की वकालत की। प्रो. चंद ने यह भी प्रस्ताव रखा कि भाकृअनुप-आईएआरआई भविष्य में "जैव-क्रांति" की अवधारणा को अपनाकर, जैव प्रौद्योगिकी को हरित क्रांति के साथ एकीकृत करके मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

ICAR-IARI Celebrates its 120th Foundation Day

मुख्य अतिथि, डॉ. डी.के. यादव, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान) ने कृषि अनुसंधान में संस्थान के अग्रणी योगदान और कृषक समुदाय और राष्ट्रीय विकास पर इसके प्रभाव की सराहना की। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप-आईएआरआई राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और फसल विज्ञान में इसके योगदान का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के हालिया बजट की मुख्य बातों के अलावा भाकृअनुप-आईएआरआई अनुसंधान, शिक्षा, विस्तार के लिए उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को भी रेखांकित किया।

भाकृअनुप-आईएआरआई के निदेशक एवं कुलपति, डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी, प्रौद्योगिकी विकास और पर्यावरणीय स्थिरता की भूमिका पर जोर दिया। अपने संबोधन में डॉ. श्रीनिवास राव ने 120वें स्थापना दिवस के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला और भारतीय कृषि के भविष्य को आकार देने में भाकृअनुप-आईएआरआई के योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने खाद्य सुरक्षा, पोषण और गरीबी उन्मूलन को आगे बढ़ाने में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया और नवाचार और उत्कृष्टता के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

इसके बाद एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें पिछले 120 वर्षों में भाकृअनुप-आईएआरआई की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया, जिसमें फसल विज्ञान, टिकाऊ कृषि और खाद्य सुरक्षा पहल में महत्वपूर्ण प्रगति शामिल थी।

इस कार्यक्रम में कई प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया, जिसमें भाकृअनुप-आईएआरआई के शोधकर्ताओं और विद्वानों के योगदान को मान्यता दी गई।

कार्यक्रम का समापन भाकृअनुप-आईएआरआई के संयुक्त निदेशक (विस्तार) डॉ. आर.एन. पडारिया के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)

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