16 मई, 2025, अविकानगर
भाकृअनुप-भेड़ सुधार पर नेटवर्क परियोजना (एनडब्ल्यूपीएसआई), अविकानगर की वार्षिक समीक्षा बैठक आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु पोषण एवं शरीर क्रिया विज्ञान संस्थान (एनआईएएनपी), बेंगलुरु में आयोजित की गई।
कर्नाटक पशु चिकित्सा, पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बीदर के कुलपति, डॉ. के.सी. वीरन्ना ने कर्नाटक में भेड़ों के सामाजिक-आर्थिक महत्व को रेखांकित किया।
बैठक की अध्यक्षता भाकृअनुप, नई दिल्ली के उप-महानिदेशक (पशु विज्ञान), डॉ. राघवेंद्र भट्टा ने की, और सह-अध्यक्षता सहायक महानिदेशक (पशु उत्पादन और प्रजनन), डॉ. जी.के. गौर, एनडब्ल्यूपीएसआई के परियोजना समन्वयक और भाकृअनुप-सीएसडब्ल्यूआरआई, अविकानगर के निदेशक, डॉ. अरुण कुमार तोमर और भाकृअनुप-एनआईएएनपी, बेंगलुरु के निदेशक, डॉ. ए. साहू ने की।
डॉ. भट्टा ने भेड़ और बकरी क्षेत्र को ‘सूर्योदय क्षेत्र’ बताया। उन्होंने इकाई के प्रदर्शन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने का आह्वान किया, तथा चेतावनी दी कि खराब प्रदर्शन करने वाली इकाइयों को बंद किया जा सकता है या स्थानांतरित किया जा सकता है। उन्होंने एनडब्ल्यू के अंतर्गत 5- 6 अतिरिक्त नस्लों को शामिल करने का भी प्रस्ताव रखा तथा भेड़ कवरेज को बढ़ाने की आवश्यकता दोहराई।
डॉ. तोमर ने हाशिए पर पड़े समुदायों की आजीविका में सुधार लाने में भेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. गौर ने 1970 के दशक में इसकी शुरुआत के बाद से कार्यक्रम का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया तथा गुणक झुंडों और कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से भेड़ कवरेज का विस्तार करने पर जोर दिया।
इस अवसर पर केवीएएफएसयू, बीदर के निदेशक (अनुसंधान), डॉ. बी.वी. शिवप्रकाश तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
चार कृषि-आधारित इकाइयों (मारवाड़ी, मुजफ्फरनगरी, दक्कनी और नेल्लोर), दो क्षेत्र-आधारित इकाइयों (मद्रास रेड और मगरा) और चार विलयित इकाइयों (मांड्या, मेचेरी, सोनाडी और मालपुरा) की प्रगति रिपोर्टों की समीक्षा की गई।
संस्थान का प्राथमिक उद्देश्य चुनिंदा प्रजनन के माध्यम से स्वदेशी भेड़ की नस्लों में आनुवंशिक रूप से सुधार करना और अपने मूल प्रजनन क्षेत्रों में किसानों को बेहतर जर्मप्लाज्म का प्रसार करना है। बैठक में जनवरी से दिसंबर, 2024 तक की प्रगति की समीक्षा की गई, चुनौतियों पर चर्चा की गई, प्रमुख सिफारिशें प्रस्तावित की गईं और बेहतर प्रभाव के लिए भविष्य की रणनीतियों को अंतिम रूप दिया गया।
बैठक में 10 चालू और 4 नई शामिल सहयोगी इकाइयों के प्रधान अन्वेषकों और सह-पीआई ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भेड़ सुधार पर नेटवर्क परियोजना, अविकानगर)
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