16 जनवरी, 2025, नई दिल्ली
जलवायु अनुकूल कृषि परियोजना में राष्ट्रीय नवाचार की 16वीं उच्च स्तरीय निगरानी समिति की बैठक आज एनएएससी, नई दिल्ली में आयोजित की गई।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने एनआईसीआरए परियोजना की प्रगति की सराहना करते हुए दलहन, तिलहन और बागवानी फसलों पर अनुसंधान को प्राथमिकता देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने चरम मौसम की घटनाओं के प्रभाव का आकलन करने तथा कृषि क्षेत्र में ग्रीनहाउस गैसों के लिए सटीक उत्सर्जन कारक विकसित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
श्री संजय गर्ग, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं सचिव (भाकृअनुप); सुश्री अलका एन अरोड़ा, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं वित्तीय सलाहकार (भाकृअनुप); श्री फ्रैंकलिन एल खोबंग, संयुक्त सचिव (एनआरएम), एमओएएफडब्ल्यू; डॉ. बी. वेंकटेश्वरलू, अध्यक्ष, निक्रा विशेषज्ञ समिति; डॉ. जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य पालन); डॉ. एस.एन. झा, उप-महानिदेशक (कृषि इंजीनियरिंग); डॉ राघवेंद्र भट्टा, उप-महानिदेशक (पशु विज्ञान); और एमओईएफ एंड सीसी, आईएमडी, डीएसटी, डीबीटी, जल शक्ति तथा भाकृअनुप के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया तथा निक्रा परियोजना के तकनीकी कार्यक्रम को और मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
उप-महानिदेशक (एनआरएम), डॉ. एस.के. चौधरी ने एनआईसीआरए परियोजना की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
सहायक महानिदेशक (एएएफ एवं सीसी), डॉ. राजबीर सिंह ने पिछले एचएलएमसी पर एटीआर प्रस्तुत किया।
भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक, डॉ. वी.के. सिंह ने एनआईसीआरए का अवलोकन प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम के दौरान दो प्रकाशन, ‘पश्चिम बंगाल के लिए आशाजनक जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकी’ और ‘भारतीय कृषि में स्वैच्छिक कार्बन बाजार: स्थिति, चुनौतियां और आगे का रास्ता’ जारी किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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