1 जून, 2025, अटारी, पटना
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा संचालित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के चौथे दिन भी बिहार एवं झारखंड में यह अभियान पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ जारी रहा। यह अभियान किसानों के लिए न केवल जानकारी का स्रोत बना है, बल्कि वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाला एक प्रेरक मंच भी सिद्ध हो रहा है। किसान अब अपनी पारंपरिक खेती में वैज्ञानिक उपायों को शामिल कर रहे हैं।
आज बिहार के 330 तथा झारखंड के 231 गाँवों में अभियान संचालित किया गया। इसमें 1577 वैज्ञानिकों एवं कृषि विशेषज्ञों के कुल 160 दलों ने भाग लिया। वैज्ञानिकों ने किसानों से सीधा संवाद स्थापित कर उन्हें खेत की मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर उर्वरक प्रबंधन, जैविक खेती की विधियाँ, वर्षा आधारित खेती के उपाय, तथा कृषि यंत्रों के बेहतर उपयोग की जानकारी दी।
किसानों को विशेष रूप से कृषि यंत्रीकरण से उत्पादन लागत में कमी के उपाय, कृषक उत्पादक संगठन, मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग के माध्यम से सामूहिक विपणन और मूल्य संवर्धन क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताया गया |
किसानों ने वार्ता के दौरान बताया कि फसल की कटाई के बाद विभिन्न कृषि यंत्रों की आवश्यकता होती है, किंतु इन मशीनों की लागत बहुत अधिक होने के कारण उन्हें कठिनाई होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से इन मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, ताकि सभी किसान इनका लाभ उठा सकें।
इसके अतिरिक्त किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, एवं परंपरागत कृषि विकास योजना की विस्तृत जानकारी दी गई।
आयोजित हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग अटारी, पटना एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा की जा रही है।
इस चौथे दिन के अभियान से 54090 किसानों को लाभ हुआ।
(स्रोत-भाकृअनुप-अटारी, पटना)
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