30 अक्टूबर, 2025, हैदराबाद
भाकृअनुप-केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, ने केन्द्रीय बारानी कृषि सोसायटी, हैदराबाद और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के साथ मिलकर आज भाकृअनुप-क्रीडा में जलवायु-अनुकूल कृषि- तकनीकी प्रदर्शन घटक (टीडीसी) अवलोकन तथा भविष्य के रोडमैप तथा राष्ट्रीय नवाचार पर तीन दिन की वर्कशॉप का उद्घाटन समारोह आयोजित किया।
डॉ. आर.एस. परोदा, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान उन्नति ट्रस्ट (टीएएसएस) और पूर्व सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), मुख्य अतिथि के रूप में कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में, डॉ. परोदा ने निक्रा-टीडीसी पहल के तहत हुई महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना की और विकास कार्यक्रमों में उन्हें शामिल करने के लिए जिला कार्य योजनाओं में अच्छी तकनीक को शामिल करने के महत्व पर ज़ोर दिया।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने तथा खराब मौसम की घटनाओं को असरदार तरीके से मैनेज करने के लिए एक होलिस्टिक अप्रोच की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। डॉ. परोदा ने पॉलिसी बनाने वालों को सोच-समझकर फैसले लेने में मदद करने के लिए बड़े लैंड यूज प्लानिंग मैप बनाने की अहमियत पर भी ज़ोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने कृषि क्षेत्र में अनुकूलता बढ़ाने हेतु मौसम सलाह व्यवस्था और आकस्मिक योजना को मज़बूत करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
इस मौके पर डॉ. ए.के. नायक, उप-महानिदेशक (नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट), भाकृअनुप, डॉ. राजबीर सिंह, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप, तथा डॉ. ए.के. सिंह, पूर्व उप-महानिदेशक (नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट), भाकृअनुप, भी मौजूद थे।
डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-क्रीडा, ने प्रतिनिधियों तथा खास लोगों का स्वागत किया और वहां मौजूद लोगों को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बारिश पर आधारित खेती की अहमियत के बारे में बताया और यह भी बताया कि इस वर्कशॉप को आयोजित करने का मुख्य कारण क्या है। उन्होंने बताया कि 33 राज्यों के क्लाइमेट के लिहाज़ से कमजोर जिलों में 151 केवीके के जरिए लागू किया गया निक्रा-टीडीसी ने जगह के हिसाब से खास तरीकों से किसानों की अनुकूलित करने की क्षमता को काफी बढ़ाया है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह वर्कशॉप पिछले कुछ साल से सीखने एवं अगले फेज के लिए रणनीति को बेहतर बनाने के लिए है। अपनी प्रेजेंटेशन में उन्होंने निक्रा-टीडीसी की उपलब्धियों को संक्षेप में बताया।
डॉ. ए.के. सिंह ने बताया कि किसानों तक डेवलप की गई टेक्नोलॉजी पहुंचाने के लिए निक्रा प्रोग्राम कैसे शुरू हुआ। उन्होंने निक्रा गांवों में सीड बैंक, चारा बैंक, कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) बनाने की कोशिशों की तारीफ़ की और उन्हें बेहतर बनाने का सुझाव दिया। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि खराब मौसम की घटनाएं हर साल बढ़ रही हैं और इन घटनाओं से निपटने पर ज़ोर दिया।
डॉ. ए.के. नायक ने अपने भाषण में निक्रा-टीडीसी कंपोनेंट की सफलता के लिए हिस्सेदार को बधाई दी। उन्होंने निक्रा प्रोग्राम को मजबूत करने के लिए रिव्यू करने और भविष्य की रूपरेखा बनाने पर जोर दिया। उन्होंने पिछले सालों से मिली सीख को एक साथ लाने और निक्रा के अगले फेज के लिए स्ट्रेटेजी को बेहतर बनाने को कहा। उन्होंने सबूतों पर आधारित ऑब्जर्वेशन, सफलता की कहानी डाटा और डॉक्यूमेंट लेने और निक्रा का भविष्य की रूपरेखा बनाने और प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (पीडीकेएमवाई) से जोड़ने के लिए एक्शन प्लान बनाने की अपील की।
डॉ. राजबीर सिंह ने निक्रा गांवों में केवीके के काम की तारीफ़ की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि निक्रा गांव की देश में वैल्यू है। अपने संबोधन में उन्होंने निक्रा-टीडीसी गांवों की सक्सेस स्टोरीज़ बताईं और निक्रा की ज़्यादा विज़िबिलिटी बढ़ाने के लिए रोडमैप बनाने की बात कही। निक्रा, भाकृअनुप की एक फ्लैगशिप पहल है, जिसने पूरे देश में क्लाइमेट-स्मार्ट टेक्नोलॉजी को डेवलप करने तथा दिखाने में अहम भूमिका निभाई है।

उद्घाटन समारोह में हैदराबाद में सभी अटारी तथा भाकृअनुप संस्थानों के डायरेक्टर, नोडल साइंटिस्ट, जोडएमसी सदस्य, भाकृअनुप संस्थानों और केवीके के साइंटिस्ट, रिसर्च एसोसिएट, यंग प्रोफेशनल और पूरे भारत से अलग-अलग भाकृअनुप अनुसंधान संस्थानों के छात्रों समेत 350 से ज़्यादा डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया। उद्घाटन सत्र के बाद ‘प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के लिए निक्रा पहल का फायदा उठाने’ पर एक खास विचार-विमर्श सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में नीचे दिए गए विषयों पर प्रेजेंटेशन और चर्चा हुई, जिससे पीएमडीडीकेवाई के लिए निक्रा पहलों के बारे में जानने में मदद मिली।
• पीएमडीडीकेवाई के आकांक्षी जिलों में निक्रा का फायदा उठाना
• जलवायु-अनुकूल तकनीकी की वजह से रेजिलिएशन और पीएमडीडीकेवाई के हिस्से के तौर पर उनका विस्तार
• एग्रोमेट सलाह को मुख्यधारा में लाना: निक्रा गांवों से पीएमडीडीकेवाई जिलों तक सबक
• जलवायु-अनुकूल कृषि जिलों के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा: पीएम–धन धान्य कृषि योजना और निक्रा-टीडीसी (2025–2031) को एक साथ लाना
पहले सेशन में निक्रा-टीडीसी से जुड़े पब्लिकेशन रिलीज़ किया गया। वर्कशॉप के तीन दिनों में हुई बातचीत और सुझाव हिस्सेदारों को इस ज़रूरी राष्ट्रीय पहल की आगे की दिशा तय करने के लिए स्ट्रेटेजी बनाने में गाइड करेंगे।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)







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