29 अक्टूबर–1 नवंबर, 2025, गोवा
अन्तर्राष्ट्रीय सैलिनिटी कॉन्फ्रेंस 3.0 (वी – केयर 2025) का उद्घाटन 29 अक्टूबर, 2025 को भाकृअनुप के डिप्टी उप-महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), डॉ. ए.के. नायक ने किया। चार दिन की यह कॉन्फ्रेंस 29 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2025 तक भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, ओल्ड गोवा में हो रहा है। इसे भारतीय मृदा लवणता तथा जल गुणवत्ता सोसाइटी, करनाल और तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान संघ, ओल्ड गोवा ने भाकृअनुप-केद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल और भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा के साथ मिलकर आयोजित किया था।

अपने उद्घाटन संबोधन में, डॉ नायक ने जोर दिया कि मिट्टी और पानी की लवणता कृषि उत्पादकता, पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करने वाली प्रमुख बाधाएं हैं, विशेष रूप से शुष्क, अर्ध-शुष्क और तटीय क्षेत्रों में। उन्होंने टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल कृषि प्रणालियों के निर्माण के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचारों के महत्व पर बल दिया। बढ़ती जलवायु परिवर्तनशीलता तथा जल संसाधन चुनौतियों के तहत लवणता को संबोधित करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने वैश्विक कार्यक्रम के आयोजन के लिए भाकृअनुप-सीसीआईआई और भाकृअनुप –सीसीएआरआई की सराहना की, जो सार्क, एएआरडीओ, जेआरसीएएस, आसीबीए एवं कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक साथ लाता है।
डॉ नायक ने नाजुक लवणीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया और विश्वास व्यक्त किया कि यादव, डायरेक्टर, भाकृअनुप-सीएसएसआरआई, करनाल ने हिस्सा लेने वालों को कॉन्फ्रेंस के मकसद और स्ट्रक्चर के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि सैलिनिटी मैनेजमेंट के साइंटिफिक, टेक्नोलॉजिकल तथा पॉलिसी पहलुओं को शामिल करते हुए छह थीमैटिक एरिया में चर्चा होगी।
डॉ. आर.के. यादव,निदेशक,भाकृअनुप-सीएसएसआरआई , करनाल, ने हिस्सा लेने वालों को कॉन्फ्रेंस के मकसद और स्ट्रक्चर के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि सैलिनिटी मैनेजमेंट के साइंटिफिक, टेक्नोलॉजिकल और पॉलिसी पहलुओं को शामिल करते हुए छह थीम वाले एरिया में चर्चा होगी।
डॉ. एस.के. चौधरी, डायरेक्टर जनरल, फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया, और पूर्व उप-महानिदेशक (एनआरएम), भाकृअनुप ने ऑस्ट्रेलिया, यूरोप तथा अफ्रीका में सैलिनिटी मैनेजमेंट एवं सटीक कृषि की कोशिशों पर वैश्विक नजरिया साझा किया। डॉ. गुरबचन सिंह, पूर्व चेयरमैन, एएसआरबी, नई दिल्ली ने रीसोडिफिकेशन के मुद्दे पर बात की और आईएसएसएसडब्ल्यूक्यू की शुरुआत से लेकर अब तक इसके विकास एवं उपलब्धियों के बारे में बताया।
अपने वेलकम एड्रेस में, डॉ. परवीन कुमार, डायरेक्टर, भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा ने इंस्टीट्यूट की उपलब्धियों तथा तटीय लवणता प्रबंधन की तकनीकी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि संधारणीय तटीय कृषि पर एक खास सत्र में जलवायु-अनुकूल किस्मों, एकीकृत कृषि व्यवस्था, तथा सवनता, समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी एवं मृदा क्षरण के असर का मुकाबला करने हेतु प्रभावी अनुसंधान रिसोर्स-यूज स्ट्रेटेजी पर फोकस किया जाएगा।
उद्घाटन सत्र में, डॉ. आर. तमिल वेंडन, कार्यवाहक कुलपति, टीएनएयू, कोयंबटूर, डॉ. पी.एल. पाटिल, कुलपति, यूएएस, मारवाड़, डॉ. बी.आर. कंबोज, कुलपति, सीसीएस एचएयू, हिसार, डॉ. एन.के. त्यागी, पूर्व निदेशक, एएसआरबी के पूर्व सदस्य और भाकृअनुप-सीएसएसआरआई तथा प्राकृतिक खेती में अग्रणी प्रयासों के लिए पहचाने जाने वाले पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किसान श्री संजय पाटिल भी शामिल हुआ।

इस सम्मेलन में भारत और जापान, श्रीलंका, मॉरीशस, दुबई, ओमान, केन्या, घाना, जाम्बिया, गाम्बिया, इस्वातिनी और लेबनान सहित कई सार्क और एएआरडीओ सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उद्घाटन समारोह के दौरान आईएसएसएसडब्ल्यूक्यू के विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन किया गया थीसिस अवॉर्ड्स, मिट्टी की लवणता तथा पानी की क्वालिटी रिसर्च के क्षेत्र में शानदार योगदान को पहचानने के लिए दिया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप– केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)







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